Production Linked Incentive (PLI) Yojana: आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम
भारत सरकार ने मार्च 2020 में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (Production Linked Incentive – PLI) योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाना है। यह योजना “मेक इन इंडिया” पहल का हिस्सा है और इसे 14 प्रमुख क्षेत्रों में लागू किया गया है।
आइए, इस योजना के उद्देश्यों, लाभों और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करें।
Production Linked Incentive (PLI) Yojana के उद्देश्य
PLI योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना: यह योजना कंपनियों को उनके उत्पादन में वृद्धि के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- आयात पर निर्भरता कम करना: घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित कर भारत का आयात घटाना और व्यापार घाटा कम करना।
- विदेशी निवेश आकर्षित करना: अत्याधुनिक तकनीक और रणनीतिक क्षेत्रों में विदेशी निवेश लाने पर ध्यान केंद्रित करना।
- रोजगार सृजन: श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत होना: विदेशी कंपनियों को भारत में उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रेरित करना।
PLI Yojana के लाभ
PLI योजना ने कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- महत्वपूर्ण क्षेत्रों का समर्थन:
- यह योजना मोबाइल निर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण, और ऑटोमोबाइल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित है।
- निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार:
- निर्यात-उन्मुख उत्पादन को प्रोत्साहित कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ाई गई है।
- तकनीकी नवाचार को बढ़ावा:
- कंपनियों को उन्नत तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित किया गया है, जिससे उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- औद्योगिक अवसंरचना का विकास:
- नई उत्पादन इकाइयों की स्थापना और विस्तार के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है।
- आर्थिक विकास को गति:
- घरेलू विनिर्माण, रोजगार सृजन और निवेश बढ़ाकर देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दिया गया है।
- स्मार्टफोन उद्योग की सफलता:
- भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बन चुका है। स्मार्टफोन निर्यात 2023 तक ₹2.87 लाख करोड़ तक पहुंच गया।
- महिला रोजगार में वृद्धि:
- श्रमिक वर्ग की महिलाओं के लिए लगभग 3 लाख प्रत्यक्ष और 6 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए गए हैं।
PLI Yojan से जुड़े मुद्दे
हालांकि PLI योजना ने कई क्षेत्रों में सफलता हासिल की है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं:
- प्रतिस्पर्धा और बाजार गतिशीलता:
- पात्र कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा से संभावित मूल्य युद्ध या बाजार विकृति हो सकती है।
- अनुपालन बोझ:
- कंपनियों को रिपोर्टिंग और दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताओं का पालन करने में अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ उठाना पड़ता है।
- क्षेत्रीय असंतुलन:
- सभी क्षेत्रों को समान लाभ नहीं मिलने से आर्थिक असंतुलन हो सकता है।
- वित्तीय बाधाएं:
- पात्र कंपनियों को समय पर प्रोत्साहन राशि प्रदान करने में कठिनाई हो सकती है।
- कार्यान्वयन में देरी:
- नौकरशाही प्रक्रियाओं और नीतिगत बदलावों के कारण योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी हो सकती है।
- योग्यता मानदंड:
- कुछ कंपनियों के लिए योग्यता मानदंड बहुत कठोर हो सकते हैं, जिससे उनकी भागीदारी सीमित हो जाती है।
Smartphone PLI Yojana: एक सफलता की कहानी
स्मार्टफोन निर्माण क्षेत्र में PLI योजना सबसे सफल रही है।
- पिछले चार वर्षों (2021–2024) में इसने ₹12.55 लाख करोड़ का उत्पादन किया और सरकार को ₹1.1 लाख करोड़ का राजस्व दिया।
- इस क्षेत्र ने 19 गुना अधिक राजस्व उत्पन्न किया, जो दिए गए प्रोत्साहनों से कहीं अधिक था।
- भारत अब चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माण देश बन गया है।
- घरेलू उत्पादों का मूल्य संवर्धन 12% से बढ़कर 20% तक पहुंच गया है।
PLI Yojana से संबंधित अन्य प्रमुख आंकड़े
- कुल रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष): 6.78 लाख
- निर्यात: ₹3.20 लाख करोड़ से अधिक
- कुल प्रोत्साहन वितरण (8 क्षेत्रों के लिए): ₹4,415 करोड़
- स्थानीय विनिर्माण का योगदान: मोबाइल फोन निर्यात का लगभग 82% PLI लाभार्थियों द्वारा किया गया।
- फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र: कच्चे माल के आयात में कमी और पेनिसिलिन-G जैसे महत्वपूर्ण दवाओं का स्थानीय उत्पादन।
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र: भारतीय ब्रांडों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बढ़ी और बाजरा जैसे स्थानीय उत्पादों की खरीदारी बढ़ी।
निष्कर्ष
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना भारत को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। हालांकि इसे कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसके सकारात्मक प्रभाव ने इसे एक प्रभावी नीति बना दिया है।
सरकार द्वारा इन मुद्दों को हल करने और योजनाओं को समय पर लागू करने से यह पहल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।