Digital Agriculture Mission: किसानों के जीवन में तकनीकी क्रांति
भारत में डिजिटल क्रांति ने हाल के वर्षों में शासन और सेवा वितरण को पूरी तरह से बदल दिया है। आधार कार्ड, सुरक्षित भुगतान प्रणाली और डिजिटल लेन-देन जैसे नवाचारों ने देश को वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा और खुदरा जैसे क्षेत्रों में अग्रणी बना दिया है।
इसी दिशा में, कृषि क्षेत्र को भी आधुनिक बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘डिजिटल कृषि मिशन’ को मंजूरी दी है। इस मिशन के तहत 2,817 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 1,940 करोड़ रुपये होगा।
Digital Agriculture Mission: एक परिचय
डिजिटल कृषि मिशन एक व्यापक योजना है जो विभिन्न डिजिटल पहलुओं को समाहित करती है। इसका उद्देश्य किसानों को डिजिटल सेवाएं प्रदान करना और कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता और दक्षता लाना है। इस मिशन के मुख्य स्तंभ हैं:
- एग्रीस्टैक (AgriStack): किसानों के लिए डिजिटल पहचान और सेवाओं का प्रबंधन
- कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली (Krishi DSS): फसल, मिट्टी, मौसम और जल संसाधनों की जानकारी का समेकन
- मिट्टी प्रोफाइल मैपिंग (Soil Profile Mapping): भूमि की गहराई से जानकारी
इसके अलावा, यह मिशन ‘डिजिटल जनरल क्रॉप एस्टिमेशन सर्वे’ (DGCES) के माध्यम से सटीक फसल उत्पादन अनुमान प्रदान करने का लक्ष्य रखता है।
Agristack: किसान की पहचान
एग्रीस्टैक किसान-केंद्रित डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) है। इसके तीन प्रमुख घटक हैं:
- किसान रजिस्टर: किसानों को एक यूनिक डिजिटल पहचान (Farmer ID) प्रदान करना।
- भौगोलिक रूप से संदर्भित गांव मानचित्र: भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण।
- फसल बुवाई रजिस्टर: हर फसल सीजन में बुवाई की जानकारी।
किसान आईडी आधार कार्ड की तरह काम करेगी और इसमें भूमि रिकॉर्ड, पशुधन स्वामित्व, फसलें और लाभार्थी योजनाओं की जानकारी शामिल होगी। इस परियोजना का पायलट परीक्षण उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और तमिलनाडु के छह जिलों में किया गया है।
लक्ष्य
- तीन वर्षों में 11 करोड़ किसानों को डिजिटल पहचान प्रदान करना।
- दो वर्षों में पूरे देश में डिजिटल फसल सर्वेक्षण लागू करना।
कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली (Krishi DSS)
यह प्रणाली उपग्रह डेटा, मौसम पूर्वानुमान और जल संसाधनों की जानकारी को एकीकृत करती है। इसका उद्देश्य:
- फसल पैटर्न का निर्धारण
- सूखा और बाढ़ निगरानी
- फसल बीमा दावों के लिए सटीक डेटा प्रदान करना
मिट्टी प्रोफाइल मैपिंग
142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए विस्तृत मिट्टी प्रोफाइल मानचित्र तैयार किए जाएंगे। अब तक 29 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र का मानचित्रण हो चुका है। यह पहल किसानों को उपयुक्त फसल चयन और उर्वरक उपयोग में मदद करेगी।
Digital General Crop Estimation Survey(DGCES)
यह तकनीकी आधारित प्रणाली फसल उत्पादन के सटीक अनुमान प्रदान करती है। इससे:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
- फसल बीमा और ऋण प्रणाली अधिक प्रभावी बनेगी।
- उर्वरकों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित होगा।
Mission Ke Benefit के लाभ
डिजिटल कृषि मिशन से किसानों को कई लाभ होंगे:
- सेवाओं तक आसान पहुंच और कागजी कार्रवाई की कमी।
- सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता।
- आपदा प्रबंधन और बीमा दावों के लिए बेहतर डेटा।
- व्यक्तिगत सलाहकार सेवाओं के माध्यम से फसल योजना और सिंचाई प्रबंधन।
सरकार की अन्य पहलें
डिजिटल कृषि मिशन के साथ-साथ सरकार ने छह अन्य योजनाओं पर भी जोर दिया है:
- खाद्य सुरक्षा और जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए 3,979 करोड़ रुपये।
- कृषि शिक्षा को मजबूत करने के लिए 2,291 करोड़ रुपये।
- टिकाऊ पशुधन स्वास्थ्य के लिए 1,702 करोड़ रुपये।
- बागवानी विकास के लिए 1,129.30 करोड़ रुपये।
Challenges And Solution
हालांकि यह मिशन महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कुछ चुनौतियों का समाधान आवश्यक है:
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी।
- दूरदराज क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता।
- डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करना।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को व्यापक जागरूकता अभियान चलाने होंगे और डिजिटल उपकरणों तक पहुंच बढ़ानी होगी।
निष्कर्ष
डिजिटल कृषि मिशन भारतीय कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा देने वाला कदम है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाने बल्कि कृषि उत्पादन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने में मदद करेगा। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया तो यह मिशन भारत को तकनीकी रूप से उन्नत कृषि अर्थव्यवस्था बनाने में सहायक सिद्ध होगा।