Antrjatiy Vivah Yojana: सरकार दे रही है 2.50 लाख रुपये, जानें कैसे उठा सकते हैं लाभ

Antrjatiy Vivah Yojana: सरकार दे रही है 2.50 लाख रुपये, जानें कैसे उठा सकते हैं लाभ

नई दिल्ली, 18 दिसंबर 2024: अगर आप अंतरजातीय विवाह करने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है। केंद्र और राज्य सरकारें समाज में जातीय भेदभाव को खत्म करने और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने के लिए अंतरजातीय विवाह योजना चला रही हैं। इस योजना के तहत अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को 2.50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। आइए, विस्तार से जानते हैं इस योजना के बारे में।

Antrjatiy Vivah Yojana : उद्देश्य और लाभ

सरकार ने यह योजना जातीय असमानता को खत्म करने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की है। अक्सर अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को परिवार और समाज से समर्थन नहीं मिलता, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हैं। ऐसे में यह योजना उनके लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही है।

Yojana के मुख्य उद्देश्य:

  • जातीय भेदभाव को खत्म करना।
  • नवविवाहित जोड़ों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।
  • समाज में सामाजिक समावेश और समानता को बढ़ावा देना।

क्या-क्या मिलेंगे फायदे?

  • 2.50 लाख रुपये की आर्थिक मदद:
    • ₹1,00,000 घरेलू खर्चों और जरूरतों के लिए।
    • ₹1,50,000 नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) के रूप में ज्वाइंट नाम पर।
  • यह राशि नवविवाहित जोड़े को अपनी नई जिंदगी बेहतर तरीके से शुरू करने में मदद करती है।

कैसे करें आवेदन?

इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको कुछ आसान प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। आवेदन प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है।

आवेदन प्रक्रिया:

  1. शादी करने वाले जोड़ों को सबसे पहले कोर्ट मैरिज करनी होगी।
  2. शादी के बाद अपने जिले के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग या संबंधित कार्यालय से आवेदन फॉर्म प्राप्त करें।
  3. फॉर्म भरने के साथ जरूरी दस्तावेज संलग्न करें, जैसे:
    • जाति प्रमाणपत्र (वर-वधु दोनों का)
    • मैरिज सर्टिफिकेट
    • निवास प्रमाणपत्र
  4. फॉर्म जमा करने के बाद जिला कार्यालय द्वारा आवेदन की जांच की जाएगी।
  5. पात्रता सुनिश्चित होने पर राशि सीधे आपके ज्वाइंट बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

पात्रता शर्तें

इस योजना का लाभ केवल उन्हीं जोड़ों को मिलेगा जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते हैं:

  • विवाह हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत होना चाहिए।
  • वर और वधु अलग-अलग जातियों से होने चाहिए।
    • एक व्यक्ति सामान्य जाति से और दूसरा अनुसूचित जाति (SC) से होना चाहिए।
  • शादी पहली होनी चाहिए; दूसरी शादी के मामले में यह लाभ नहीं मिलेगा।
  • आवेदन शादी के दो वर्षों के भीतर करना होगा।

2013 में हुई थी शुरुआत

यह योजना 2013 में शुरू हुई थी और इसका संचालन केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें मिलकर करती हैं। उदाहरण के तौर पर, गुजरात सरकार इसे सविताबेन अंबेडकर अंतर्जातीय विवाह सहायता योजना के नाम से चला रही है। इसमें राज्य और केंद्र दोनों का 50% योगदान होता है।

सरकार की सोच: सामाजिक समावेश की दिशा में बड़ा कदम

सरकार का मानना है कि अंतरजातीय विवाह समाज में समानता लाने का एक मजबूत माध्यम हो सकता है। इस पहल से न केवल जातिगत भेदभाव कम होगा, बल्कि यह सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देगा।

गुजरात मॉडल पर नजर डालें:

गुजरात सरकार ने इस योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है:

  • राज्य में रहने वाले दंपत्ति जिनमें से एक अनुसूचित जाति से हो, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
  • माता-पिता का पांच वर्षों तक गुजरात निवासी होना अनिवार्य है।
  • उम्र सीमा नहीं रखी गई है, जिससे हर आयु वर्ग के लोग इसका लाभ उठा सकते हैं।

जनता का उत्साह

इस योजना ने कई लोगों की जिंदगी बदली है। ऐसे जोड़े जो पहले आर्थिक तंगी या सामाजिक दबाव झेल रहे थे, अब आत्मनिर्भर होकर अपनी जिंदगी बेहतर बना रहे हैं।

एक उदाहरण:

राजस्थान के जयपुर निवासी सुमित और पूजा ने हाल ही में अंतरजातीय विवाह किया। उन्होंने बताया कि इस योजना से मिली आर्थिक सहायता ने उन्हें अपने नए घर की शुरुआत करने में मदद की।

निष्कर्ष: आज ही उठाएं कदम

अगर आप भी अंतरजातीय विवाह करने की सोच रहे हैं, तो यह सुनहरा मौका हाथ से न जाने दें। सरकार की यह पहल न केवल आपकी आर्थिक मदद करेगी बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी आपकी भूमिका सुनिश्चित करेगी।

तो देर किस बात की? आज ही आवेदन करें और अपने भविष्य को उज्जवल बनाएं!

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